लेखनी कहानी -16-Mar-2023 उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
शीर्षक-उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
यह कहानी एक शहर के धनी व्यक्ति रामलाल जी की है। रामलाल जी हमेशा गलत कामों में व्यस्त रहते थे। लेकिन फिर भी वह अपने को पाक समझते थे। एक दिन रामलाल जी शराब की दुकान पर बैठे थे और शराब पी रहे थे। रामलाल जी को बुरी आदतों का बहुत ज्यादा असर था। जब भी उनको कोई उनकी आदतें बताता तो वह उन्हें दोषी करार देता और उसे झगड़ा करने लग जाता था। रामलाल जी को सभी ने समझाने की कोशिश की लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आया और अपनी आदतों से बाज नहीं आया। इन्हीं बुरी आदतों के कारण रामलाल जी के साथ सभी दोस्तों ने रिश्ता तोड़ दिया और रिश्तेदार भी उनसे अलग रहने लगे।
अभी रिश्तेदार कहते थे ऐसे के साथ रहेंगे तो कीचड़ तो लगेगा ही। आते हैं एक मछली पूरे पानी को गंदा कर देती है वही हाल राम लाल जी का था। रामलाल जी अपनी बातों से बाज ना आने के कारण 1 दिन ऐसी हालत आ गई कि उनके घर दो रोटी खाने के लिए भी नहीं रही। जब भी कोई उसे समझाता तब भी वह उसी को दोषी करार कर देता उससे झगड़ा मारपीट करने लगता।
एक दिवस ऐसा आया रामलाल जी की तबीयत बहुत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया तब रामलाल जी की आंखें खुली और उसने कहा सब ने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मैं हमेशा उन्हीं पर दोष मंडरा देता था। कभी मैंने अपनी गलती स्वीकार नहीं की जिसका नतीजा आज मुझे भुगतना पड़ रहा है आज मेरे साथ मेरा परिवार ही नहीं है अंतिम क्षण में भी मैं अकेला हूं। कहते हैं जब चिड़िया चुग गई खेत तो फिर क्या कहना। रामजी लाल के साथ हुआ। और अपनी गलतियों के साथ ही वह परलोक सिधार गए।
शिक्षा-इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपना दोस्त दूसरे के माथे नहीं मढ़ना चाहिए। अपनी गलती समय रहने पर स्वीकार कर लेनी चाहिए।
लेखिका
डॉ. रामबली मिश्र
16-Mar-2023 08:42 PM
बहुत खूब
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अदिति झा
16-Mar-2023 08:24 PM
Nice 👍🏼
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